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सूनी दृष्टियों में सौ स्वप्न सजाता हूं।

aktanu899aktanu899 August 28, 2021
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अपनी रिक्तताओं से भरा हूं मैं 

अपनी अपूर्णताओं से पूर्ण हूं।

 मै अपने रंगहीन जीवन से 

गीतों के इंद्रधनुषी रंग पाता हूं। 

मैं अपनी विकलताओं से शांति पाता हूं 

मैं अपने मौन से न जाने कितने स्वर चुराता हूं।

मैं अपने रुके हुए पगों से 

कल्पनाओं में ही कितनी यात्राएं कर आता हूं ।

मैं बंद हाथों में 

भविष्य के कितने स्पर्श समाता हूं।

मैं सूनी सी दृष्टियों में

सौ सुनहरे स्वप्न सजाता हूं।

 मैं बिन छुए बस शब्दों से ही

 कितने मन छू जाता हूं। 

 जो कहते हैं मुझसे कितना कुछ 

मैं भी चाहता हूं कितना कुछ कहना सुनना उनसे 

पर थोड़ा थोड़ा घबराता हूं।

कोई कहे कुछ भी दम्भी, गर्वित ,आडम्बी 

पर मैं अपना झूठा सत्य लिए यहां इतराता हूं।


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