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कैलेण्डर पर साल बदलेगा
पर तारीखें और दिन फिर खुद को दोहरायेगें।
गुज़रे हुए पल मगर लौटकर फिर न आयेंगें
कुछ बिछड़े साथी गये जहां वहां से पलटकर फिर न आयेगें
मगर उम्र भर हमको याद आयेंगें, रुलायेंगें।
कुछ से हम रुठे,कुछ हमसे रुठ गये
कुछ को हमने भुला दिया कुछ हमें भूल जायेंगें।
कुछ ख्वाब पूरे हुए, कुछ टूट गये
टूटे हुए ख्वाबों को भूल, निगाहों में नये ख्वाब सजायेगें।
उम्मीदों के बुझते दिए को बुझने से बचायेंगें
नाकाम ,नाउम्मीद दिलों में उम्मीद
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