मन के छाले's image
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रह गये अकथ अंधेरे सब ,

जो हुए प्रकट छद्म थे उजाले।

मुख का हास सबने देखा

देख सका कौन

मन है अंदर ही अंदर

कितनी व्यथाएं है पा

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