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हिंदी कविताPoetry1 min read

क्या कहकर ढांढ़स बंधाए

aktanu899 नीरवaktanu899 नीरव July 23, 2022
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जिन पर कोई हक है ही नहीं ,उन से क्या शिकवा करे

आखिर कैसे कोई उन पर अपना झूठा हक जताए।


जो बस इक आवाज़ के मुंतज़िर हैं अपनी तसल्ली के लिए,कोई कैसे उनके कानों तक पहुंचाये अपनी सदाएं।



न खत्म हों इतने फासले हैं,न कम हों इतनी दूरियां हैं

ऐसे में क्या कोई किसी की जानिब कदम बढ़ाए।


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