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एक बरस बाद भी
जरा न बदला
वो ही शहर,
वो ही गलियां, वही डगर है ,मगर
बदला मगर इतना सा
न अम्मा हैं, न बाबूजी हैं
इक बंद पड़ा
खामोश ,बेजान सा घ
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एक बरस बाद भी
जरा न बदला
वो ही शहर,
वो ही गलियां, वही डगर है ,मगर
बदला मगर इतना सा
न अम्मा हैं, न बाबूजी हैं
इक बंद पड़ा
खामोश ,बेजान सा घ
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