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इनके नयन उनके नयन,इनके मन उनके मन, लगी जाने कैसी लगन,
नयन-नयन से,मन -मन से,जाने क्या-क्या तो कह गये।
मौन अधरों में रुके रुके से गीत बिन गाए कितने रह गए
हृदय की पीर में,नयनों के नीर में,स्वप्न अधूरे जाने कितने बह गये।
जो मिले थे सर्वथा अपरिचित ही,अकस्मात इन पथों पर
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