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उफ्फ मेरा चाँद
न जाने कितनों को दीवाना बनाएगा
कभी दीवाना हुआ बादल
कभी दीवाने हुए कायल
उफ्फ मेरा चाँद…
न जाने कितनों को भला तड़पायेगा
कभी यह घन में छुपता
कभी यह मन में छुपता
उफ्फ मेरा चाँद…
न जाने कौन सी पीड़ को छुपाता दिल में
कभी इसका आकार घटता-बढ़ता
कभी तन पे में काला धब्बा दिखता
उफ्फ मेरा चाँद…
न जाने कौन सी अदा है इसके फलक पर
कभी इसमें महबूब नजर आए
कभी
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