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मंथरा जो दीखाती है कैकई को वही नजर आता है,
गलतफहमियां ज्यादा हो तो झूठ भी उजाले सा नजर आता है,
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मंथरा जो दीखाती है कैकई को वही नजर आता है,
गलतफहमियां ज्यादा हो तो झूठ भी उजाले सा नजर आता है,
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