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२०.०१.२०२३
#ग़ज़ल
यार तुझसे मिरा भला न हुआ,
ज़िन्दगी में ये वाक़या न हुआ।
मेरे अश्कों को पोछने आते,
आपसे ये भी बारहा न हुआ।
मेरी बातों को दिल पे सब लेते,
सच कहूं कोई रहनुमा न हुआ।
जिसको देखो वो बेवफ़ा निकले,
एक भी शख़्स बावफ़ा न हुआ।
हर तरफ़ तीरगी का आलम है,
मौसमे - ज़ीस्त खुशनुमा न हुआ।
-आकिब जावेद
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