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रोज़ ओ शब की परेशानी का सबब बनता है,
इश्क़ बे मा'नी , मा' नी का सबब बनता है,
कुछ तो लोगों ने भी हमदर्दी न रक्खी मुझ से,
और कम ज्ञान भी हानी का सबब बनता है,
मीर की नज़्म सुनी है तो ये जाना हम ने,
मिस्
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