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तुम्हारे नाम पे कर लूँ गुज़ारा ठीक नहीं,
दुआ सलाम पे इतना ख़सारा ठीक नहीं,
तमाम शहर की आँखें हैं मुंतज़िर सो सुन,
बकाए जाम पे इतना नज़ारा ठीक नहीं,
वो सोगवार है रोके उसे कोई चल कर,
ये अश्क ए आम और मौसम बहारा ठीक नहीं,
किसी के इश्क़
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