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इश्क़ में इतनी तनहाई है...क्या ये तुमको पता नहीं।
सागर जितनी गहराई है... क्या ये तुमको पता नही।
उतर गए हो तुम दरिया में यादों की पतवार पकड़,
जान पे तेरे बन आई है...क्या ये तुमको पता नहीं।
सागर जितनी गहराई है... क्या ये तुमको पता नही।
उतर गए हो तुम दरिया में यादों की पतवार पकड़,
जान पे तेरे बन आई है...क्या ये तुमको पता नहीं।
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