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दिन ढलकर रात हुई वो अब घर आया है
छुट्टे कुछ सिक्के है वो भरी एक पोटली लाया है
किसका उठाया कचरा उसने गाली खाई
बदले कुछ सिक्को के जमीर गवाया है
दो ओलादे थी उसने घर चलाया कौन बताएगा
पढ़ लिख कर साहब बने पर भूखे बुड्ढे को कौन खिलाएगा
ओलादो ने है लात मारी कल फिर काम पर आएगा।
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