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दिन ढलकर रात हुई वो अब घर आया है
छुट्टे कुछ सिक्के है वो भरी एक पोटली लाया है
किसका उठाया कचरा उसने गाली खाई
बदले कुछ सिक्को के जमीर
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दिन ढलकर रात हुई वो अब घर आया है
छुट्टे कुछ सिक्के है वो भरी एक पोटली लाया है
किसका उठाया कचरा उसने गाली खाई
बदले कुछ सिक्को के जमीर
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