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गर्व और अभिमान से, मस्तक ये उठना चहिये
हर पर्व से परे, राष्ट्र-पर्व रहना चाहिए।
हो सहस्र मतभेद पर, इक जोड़ रहना चाहिए
देश कि हि जड़ों पर, विविध शाख फलना चाहिए।
मै-तुम्हारा, तुम-मेरे, सब एक होने चाहिए
भाव के बहाव मे भी, हिन्दुस्तान बहना चाहिए।
जो न समझे सत्य को, उसे इतिहास पढना&
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