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सुनो ज़रा तुम 

जानती हूँ तुम व्यस्त होगे 

मगर आना जब मेरी 

अंतिम यात्रा पे 

तो आँखों में आँसु रख कर 

मुझे विदा ना करना 

जिस तरह मेरे चेहरे को देख हंसते थे 

ठीक उसी तरह मुझे हँसते विदा करना 


आना जब तुम मेरी 

आख़िरी विदायी पे 

तो वो अपनी लिखी सारी कविताएँ 

ले आना , 

जिसे तुम मुझसे छुपा कर रखते थे 

अब और मत छुपाना उसे 

पढ़ देना वो सब कुछ 

जो तुम बोल नहीं पाए मुझसे 

मेरे जीते जी 


आना जब तुम मेरी 

आख़िरी विदायी पे 

तो अग्नि

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