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याद की एक खिड़की खुली रह गई...
एक तस्वीर मन की दीवार पर टंगी रह गई।
वक्त के साथ यहाँ सब गुज़रता ही गया,
न जाने क्यों मैं हर बार वहीं की वहीं रह गई।
नय
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याद की एक खिड़की खुली रह गई...
एक तस्वीर मन की दीवार पर टंगी रह गई।
वक्त के साथ यहाँ सब गुज़रता ही गया,
न जाने क्यों मैं हर बार वहीं की वहीं रह गई।
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