उल्फतें कि रुसवाई,
उजलतें कि बीनाई,
जिस्म–रूह चाक हुए
Read More#मैं_तुमऔरकुछ_रिक्तस्थान#अबोध#अपराध_बोध#गुस्ताख़_मदीहे#मेरे_तुम #प्रेमअर्पणNo postsCommentsComment
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