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।। ॐ नमः शिवाय ।।
गले में है सर्पों की माला, हांथ में उसके विष का प्याला
भाल चंद्रमा चमक रहा है, कानों में कुंडल झल काला
देवो के देव महादेव वो, इस सृष्टि के पालनहार
हर विपदा से हमें बचाते, चलो चलें सब उनके द्वार
वही आदि हैं वही अनंता, वही देखता वही है सुनता
वही काल है वही है संता, परम् कृपालु शिव भगवंता
नाम है उनका पालनहारा, वही भंवर हैं वही किनारा
उनके बिना ये जग अंधियारा, वही एक हम सब का सहारा
काशी शिव, केदार में शिव है, हर जीव के अवतार में शिव है
मन में शिव है, तन में शिव है, सांसों की हर लय में शिव है
दिन में शिव हैं,रात में शिव हैं,समय के हर इक क्षण में शिव हैं
आंखें बंद करो या खोलो, देखो! यहां कण कण में शिव हैं।।
– अभिषेक विश्वकर्मा ✍️
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