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जब पहली बार
घर से बाहर निकला था
तो झूठ बोलना सीखा था मैंने
किसी नए शहर में
ज़िंदगी की जद्दोजहद थी
तो झूठ बोलना सीखा था मैंने
जब माँ फ़ोन करती और पूछती
सुबह नाश्ता कर के निकला है न
तो झूठ बोलना सीखा था मैंने
दोपहर फिर फ़ोन आता और कहती
खाना खाया या नहीं
तो झूठ बोलना सीखा था मैंने
माँ सिर्फ इतना कहती
ढंग से झूठ भी नहीं बोल पाता तू
~ अभिनव
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