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मेरी ज़िद करने की आदत नही
मैं चुप हूँ ये मेरी शराफत नही
समझ नहीं आ रहा
ये ज़िन्दगी है या कोई आफ़त नई
लो भूला दिया मैंने तुम्हें
क्योंकि मेरी ज़िद करने की आदत नही
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मेरी ज़िद करने की आदत नही
मैं चुप हूँ ये मेरी शराफत नही
समझ नहीं आ रहा
ये ज़िन्दगी है या कोई आफ़त नई
लो भूला दिया मैंने तुम्हें
क्योंकि मेरी ज़िद करने की आदत नही
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