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ये गीत हमारे जो कुछ भीं हैं, पर तुमसे बड़कर कुछ भी नहीं हैं!

Abhay DixitAbhay Dixit February 8, 2022
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ये गीत हमारे जो कुछ भीं हैं
पर तुमसे बड़कर कुछ भी नहीं हैं
ये तो तुम्हें रिझाने सारे जतन थे
तुम ही न मिली तो इनका
अब कोई मोल नहीं है
ये गीत हमारे जो कुछ भी हैं
पर तुमसे बड़कर कुछ भी नहीं हैं
हमने तो गाये बस तुम्हें पाने को
और अब गा रहें तुम्हें भूल जाने को
पर तुम्हें भुला सकें इतने बे-भूल नहीं हैं
ये गीत हमारे जो कुछ भीं हैं
पर तुमसे बड़कर कुछ भी नहीं हैं
तुम मोम थी पर तुम्हें पिघला न सकें
हम पत्थर से पानी हो गए
इसका कोई जिक्र नहीं

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