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जिसे में आज तक न पढ़ पाया,
तुम ऐसी गजल हो मेरे लिए,
जिसे आज तक न लिख पाया,
तुम ऐसी कहानी हो मेरे लिए।।
घर होते हुए भी बे-घर हुआ,
तुम ऐसा घर हो मेरे लिए,
जिसमें कभी ख़ुदको न देख सकूँ,
तुम ऐसा आईना हो मेरे लिए।।
जिसे में आजतक न समझ
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