
Share0 Bookmarks 191 Reads1 Likes
यही निवेदन है तुमसे की तुम आंख में अब और पानी न देना
जमाने को सुनने बहुत कुछ है बस तेरी-मेरी नई कहानी न देना
कैसे भूल रहें हम तुमको ये हमारे जीवत होने की निशानी है
तुम लौट कर फिर इस राह में यादों की कोई गठरी पुरानी न देना
जो भी साथ रहा तुमसे अब तक मैंने माना बो यहीं तक था
पुनः आकर के फिर तुम इस शांत से सफर को नई दिशा न देना
क्या ही छुपा है तुमसे और क्या छुपा पाये थे अब तक
न जाने किस ख्वाब में तुमको मांगने आ गए थे तुम तक
बहुत खोजा फिर जाना जिंदगी का सही मर्म पहचाना
धरती कितनी भी कोशिश करे नहीं पहुँच पाती आसमाँ तक
तुमने बस खुद को आसान था बनाया हमें प्यार नजर आया
जब समझें तो जाना तुमने तो जान-पहचान को अपनाया
जो थोड़ा है तुमने भ्रम की प्रेम रूपी मोती को माला को
अब उनको भी बिखरा के जीवन में नई कोई निशानी न देना
जमाने को सुनने बहुत कुछ है बस तेरी-मेरी नई कहानी न देना।
~अभय दीक्षित
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments