Love PoetryPoetry1 min read
स्वपन हम दोनों ने ही सजाए थे पर स्वप्न सारे पूरे तुम्हारे ही हुए!
February 13, 2022Share0 Bookmarks 0 Reads0 Likes
स्वपन हम दोनों ने ही सजाए थे,
पर स्वप्न सारे पूरे तुम्हारे ही हुए,
मंजिल पर पहुँचना हम दोनों को ही था,
पर न जाने क्यों रास्ते में हम ही अधूरे हुए।
तुम्हें तो साथ की जरुरत थी सफर के लिए,
हमें छोड़कर भी तुम्हारे कई साथी हुए,
हमें तो बस तुम्हारी ही आरजू रही सदा,
तुमने छोड़ा तो हम किसी के न हुए।
हमें सदा से ख्वाहिश एक ही
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments