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विचारों पर बंदिश कौन करे,
जीवन में नई कशिश कौन करे,
परवरिश डूब चुकी है खुद के ही आँख के पानी में,
अब अपने ही संस्कारों पर रंजिश कौन करे।।
~अभय दीक्षित
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