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शोर हुआ हो तो शाख बैठा हर परिंदा उड़ जायगा,
अगर हमने दी पनाह तो तिनके से आशियाना बनाना हमें सिखा जायगा।।
धीरे धीरे अगर साथ चले हम तो सारी दुनिया साथ निभायेगी
हमने अगर जोर जल्दी की तो यूँ ही अकेला सा कर जायगी।।
जिंदगी जीने का हुनर सीखना है तो शाख के हर गिरते पत्ते से सीखते चलो,
जिंदगी में अगर आगे बढ़ना है तो सबकी गलतियों को माफ़ करते चलो।।
इरादा अगर पाने का है तो निरंतर तुम चलते चलो,
अगर दिया है तुम्हारे सामर्थ्य से कुछ ज्यादा मदद तुम लोगो की करते चलो।।
अगर ले लिया फैसला तुमने किसी के दिल में अपना आशियाना बनाने का,
तो अगर टूटे आशियाना तो तुम उसमें जख्म सहने की तौफ़ीक़ भी रखना।।
साथ तेरा कितना भी निस्सार क्यों न हो संग तेरे ही रहना पड़ेगा,
तु चाहे जितने जख्म देदे जिंदगी पर मौत से तेरे लिए लड़ना ही पड़ेगा।।
बड़ी मनहूस सी है सूरत मेरी फिर भी शीशा तो मुझको देखना ही पड़ेगा,
कनक सी चमक मुझे पानी है तो तपना भी तो मुझको ही पड़ेगा।।
~ अभय दीक्षित
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