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बन्दर जैसी उछलकुद तेरी
कव्वे जैसी नजर हैं तेरी
बेवजह कुत्ते जैसा पसीना पसीना
तू ही बता ,तू कैसा इंसान ?
साप नेवले ,चूहे बील्लीसा खेल तेरा
गिरगिट की तरह तू रंग बदलता
तू खुद बन गया खुद का दुश्मन
भूखे शेर जैसा तू बना हैं शिकारी
गंदगी में डुबकी लगाये
हाथी जैसी बेफिकरी रहता
खाने के दांत लगा दिखने के अलग
शिकार करता साधु के भेष में
तू ही बता ,तू कैसा इंसान ?
गधे जैसा बोझ उठता अज्ञान का
गुलामी करता जाने अनजाने में
वो कहे तो काटता जहर फैलता
धर्म - अधर्म ,सत्य असत्य नहीं पहचानता
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