
Share0 Bookmarks 18 Reads0 Likes
टमाटर सी हो गयी जिंदगी
रहां भी न जाये सहा भी जाये
यह कौनसा सा मोड़ आया ?
अँधेरा छाया चारोतरफ
टमाटर सी हो गयी जिंदगी
वक्त का तकाजा हैं की वह
किसीका इंतजार नहीं करता
ना ही किसी के लिएा आसु बहता
टमाटर सी हो गयी जिंदगी
मिले तो अच्छा हैं ना मिले तो
और सही क्या फर्क पड़ता हैं भाई
चावल ,गेहू, नमक, मिर्च थोड़ेही
टमाटर सी हो गयी जिंदगी
पड़े पड़े सड़ता हैं या समय के बाद
हर काम समय पर होना जरुरी हैं लेकिन
ना कोई मंजिल मिली , ना कोई हमसफ़र
टमाटर सी हो गयी जिंदगी
जिसे भी चाहा दिल वही
संगदिल सनम ,बेवफा
करे भी तो क्या आखिर ?
टमाटर सी हो गयी जिंदगी
देखते देखते खिसक गई कब
कल तक कहलाये भैया और
आज अंकल से दादाजी
टमाटर सी हो गयी जिंदगी
जाने कहा खो गई खुशी
किस्मत का फेरा कहे या
खुद की गलतिया समझो ,भुगतो
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments