
कान्हा का श्रीकृष्ण हो जाना कैद में जन्म लेना और उसी कैद से सब को छुड़ाना
इतना आसां भी नही किसी कान्हा का "श्रीकृष्ण" हो जाना
सारी खूबसूरती खुद में समेटे गर्त में जाती दुनिया को अपनाना
इतना आसां भी नही किसी कान्हा का "श्रीकृष्ण" हो जाना हो शिकायतें सबको जिससे उसका हर समस्या को दूर भगाना
इतना आसां भी नही किसी कान्हा का "श्रीकृष्ण" हो जाना
खेल में दोस्तों से हार जाना खेल-खेल में कालिया से नाग को हराना इतना आसां भी नही किसी कान्हा का "श्रीकृष्ण" हो जाना
चोरी कर माखन खाना और लुटे साम्राज्य को वापस दिलाना
इतना आसां भी नही किसी कान्हा का "श्रीकृष्ण" हो जाना
छुप कर जिनकी मटकियां फोड़ना उनके डूबते गाँव को इंद्र से बचाना इतना आसां भी नही किसी कान्हा का "श्रीकृष्ण" हो जाना
दोस्तों के कांधे चढ़ माखन खाना गोवर्द्धन को एक उंगली पर उठाना इतना आसां भी नही किसी कान्हा का "श्रीकृष्ण" हो जाना
बाँसुरी की मीठी तान से प्रेम बरसाना पाञ्चजन्य से भय को भी भयभीत कराना
इतना आसां भी नही किसी कान्हा का "श्रीकृष्ण" हो जाना
गोपियों संग मधुर रास रचाना कुरुक्षेत्र में मृत्यु का नृत्य रच जाना इतना आसां भी नही किसी कान्हा का "श्रीकृष्ण" हो जाना
राधा के प्रेम में खोना फिर अपनी एक अलग द्वारका बसाना
इतना आसां भी नही किसी कान्हा का "श्रीकृष्ण" हो जाना
रणछोड़ भागने वाले का बिन शस्त्र पाण्डवों को युद्ध जीताना
इतना आसां भी नही किसी कान्हा का "श्रीकृष्ण" हो जाना
मइया की लोरी से सोना गीता से अर्जुन संग विश्व को जगाना
इतना आसां भी नही किसी कान्हा का "श्रीकृष्ण" हो जाना
गोपीयों को तंग करना द्रौपदी को चीरहरण से बचाना
इतना आसां भी नही किसी कान्हा का "श्रीकृष्ण" हो जाना
बाँसुरी लिए बजाते घूमना उसे त्याग सुदर्शन से दुष्टों को मिटाना
इतना आसां भी नही किसी कान्हा का "श्रीकृष्ण" हो जाना
दोस्तों संग यूँ ही भटकते रहना सारथी बन भटकों को राह दिखाना इतना आसां भी नही किसी कान्हा का "श्रीकृष्ण" हो जाना।। ~आशीष #आशीष_अक्स #कृष्णा
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