जय जय श्री राम
त्रेता युग मे जन्म हुआ भगवान श्री राम का,
आदर्शो से मर्यादापुरूषोत्तम नाम हुआ श्री राम का,
लोगो को न्याय इतने दिलाये श्री राम ने,
कि उनका नाम फैला और गूँजा पूरे ब्रह्माण्ड में,
मर्यादा और आदर्शो की छवि ऐसी थी भगवान की,
स्वयं महाकाल के अराध्य बन पूजे गये श्री राम भी,
छाप ऐसी छूटी भगवान श्री राम के नाम की,
गैर हिन्दू भी प्रेम और सोहार्द से बोला जय जय श्री राम की,
नाम और काम पर बन गए मन्दिर श्री राम के,
साथ मे मैया सीता, भाई लक्ष्मण और सेवक हनुमान थे,
लेकिन कलियुग मे तो धर्मो की नाव पर सवार कुछ कट्टरपंथी इंसान थे,
धर्म के भम्र में मन मे द्वेष और क्रोध था विरोध मे श्री राम के,
कब्जे भी होने लगे श्री राम के जन्म स्थान पर,
लेकिन अनुयायी अडे रहे और खेल गये अपनी जान पर,
दुख हुआ जब मिटृ भी होने लगी लाल नाम पर श्री राम के,
शर्म आती है कि इस संसार मे इंसान किस काम के,
गैर हिन्दू भी साथ खडा था अस्तित्व मे श्री राम के,
लेकिन विरोधी ना माने और बहा डाले खून इंसान के,
अच्छो को बैर ना था नाम के श्री राम का,
लेकिन मुद्दा गर्म हुआ मात्र भूमि और जन्म स्थान का,
बता दिया मात्र भूमि भगवान श्री राम के जन्म स्थान को,
और पहुॅचा दी ठेस भक्तो की भक्ति के अभिमान को,
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