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आज सरसब्ज़ कोह ओ सहरा है

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आज सरसब्ज़ कोह ओ सहरा है

हर तरफ़ सैर है तमाशा है

चेहरा-ए-यार ओ क़ामत-ए-ज़ेबा

गुल-ए-रंगीन ओ सर्व-ए-रअना है

मअ'नी-ए-हुस्न ओ मअ'नी-ए-ख़ूबी

सूरत-ए-यार सूँ हुवैदा है

दम-ए-जाँ-बख़्श नौ-ख़ताँ मुज कूँ

चश्मा-ए-ख़िज़्र है मसीहा है

कमर-ए-नाज़ुक ओ दहान-ए-सनम

फ़िक्र बारीक है मुअम्मा है

मू-ब-मू उस कूँ है परेशानी

ज़ुल्फ़-ए-मुश्कीं का जिस कूँ सौदा है

क्या हक़ीक़त है तुझ तवाज़ो की

यू तलत्तुफ़ है या मुदावा है

सबब-ए-दिलरुबाई-ए-आशिक़

मेहर है लुत्फ़ है दिलासा है

जूँ 'वली' रात दिन है मह्व-ए-ख़याल

जिस कूँ तुझ वस्ल की तमन्ना है

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