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राजधानी में बैल 3

Uday PrakashUday Prakash
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सूर्य सबसे पहले बैल के सींग पर उतरा
फिर टिका कुछ देर चमकता हुआ
हल की नोक पर

घास के नीचे की मिट्टी पलटता हुआ सूर्य
बार-बार दिख जाता था
झलक के साथ
जब-जब फाल ऊपर उठते थे

इस फ़सल के अन्न में
होगा
धूप जैसा आटा
बादल जैसा भात

हमारे घर के कुठिला में
इस साल
कभी न होगी रात ।

 

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