ते नर नरकरूप जीवत जग's image
1 min read

ते नर नरकरूप जीवत जग

TulsidasTulsidas
0 Bookmarks 84 Reads0 Likes

ते नर नरकरूप जीवत जग,
भव-भंजन पद बिमुख अभागी।
निसिबासर रुचि पाप, असुचिमन,
खल मति मलिन निगम पथ त्यागी॥१॥
नहिं सतसंग, भजन नहिं हरिको,
स्त्रवन न रामकथा अनुरागी।
सुत-बित-दार-भवन-ममता-निसि,
सोवत अति न कबहुँ मति जागी॥२॥
तुलसिदास हरि नाम सुधा तजि,
सठ, हठि पियत बिषय-बिष मॉंगी।
सूकर-स्वान-सृगाल-सरिस जन,

 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts