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बेतरह आँख पोंछता है
इस क्षण का ईश्वर
(आँसू
प्याज़ के?)
ऐश्वर्य में
उसे भी नहीं मालूम
वह भी नहीं जानता
प्रतीक्षा है वह
जिसकी प्रतीक्षा
होना अभी शेष है
शेष है
अभी इस नक्षत्र पर
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बेतरह आँख पोंछता है
इस क्षण का ईश्वर
(आँसू
प्याज़ के?)
ऐश्वर्य में
उसे भी नहीं मालूम
वह भी नहीं जानता
प्रतीक्षा है वह
जिसकी प्रतीक्षा
होना अभी शेष है
शेष है
अभी इस नक्षत्र पर
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