0 Bookmarks 113 Reads0 Likes
सहरा से आने वाली हवाओं में रेत है
हिजरत करूँगा गाँव से गाँव में रेत है
ऐ क़ैस तेरे दश्त को इतनी दुआएँ दीं
कुछ भी नहीं है मेरी दुआओं में रेत है
सहरा से हो के बाग़ में आया हूँ सैर को
हाथों में फूल हैं मिरे पाँव में रेत है
मुद्दत से मेरी आँख में इक ख़्वाब है मुक़ीम
पानी में पेड़ पेड़ की छाँव में रेत है
मुझ सा कोई फ़क़ीर नहीं है कि जिस के पास
कश्कोल रेत का है सदाओं में रेत है
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments