
0 Bookmarks 292 Reads0 Likes
इस एक डर से ख़्वाब देखता नहीं
जो देखता हूँ मैं वो भूलता नहीं
किसी मुंडेर पर कोई दिया जिला
फिर इस के बाद क्या हुआ पता नहीं
मैं आ रहा था रास्ते मैं फूल थे
मैं जा रहा हूँ कोई रोकता नहीं
तिरी तरफ़ चले तो उम्र कट गई
ये और बात रास्ता कटा नहीं
इस अज़दहे की आँख पूछती रही
किसी को ख़ौफ़ आ रहा है या नहीं
मैं इन दिनों हूँ ख़ुद से इतना बे-ख़बर
मैं बुझ चुका हूँ और मुझे पता नहीं
ये इश्क़ भी अजब कि एक शख़्स से
मुझे लगा कि हो गया हुआ नहीं
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments