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मार दी तुझे पिचकारी

Suryakant Tripathi NiralaSuryakant Tripathi Nirala
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मार दी तुझे पिचकारी,
कौन री, रँगी छबि यारी ?

फूल -सी देह,-द्युति सारी,
हल्की तूल-सी सँवारी,
रेणुओं-मली सुकुमारी,
कौन री, रँगी छबि वारी ?

मुसका दी, आभा ला दी,
उर-उर में गूँज उठा दी,
फिर रही लाज की मारी,
मौन री रँगी छबि प्यारी।

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