
0 Bookmarks 149 Reads0 Likes
पति ही सूं प्रेम होय, पति ही सूं नेम होय,
पति ही सूं छेम होय , पति ही सूं रात है.
पति ही यज्ञ जोग, पति ही है रस भोग,
पति ही सू मिटे सोग, पति ही को जात है..
पति ही है ज्ञान ध्यान, पति ही है पुण्य दान ,
पति ही है तीर्थ ,न्हान,पति ही को मत.
पति बिनु पति नाहिं, पति बेनु गति नाहि,
सुंदर सकल विधि एक पतिव्रत है..
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments