वक्तव्य's image
1 min read

वक्तव्य

Sudama Pandey DhoomilSudama Pandey Dhoomil
1 Bookmarks 309 Reads2 Likes


बालिश्त भर
बीमार चेहरे पर
आदमक़द प्यास
तीखे समझौते को पीकर
लुढ़का देती प्याले-सा
उल्टा आकाश
मेरी हथेली पर।

मुझे जीने लगता है फिर से अलगाव...
गिरहकट आँखों की अर्थहीन चुप्पी में
डूबते सीमान्त दुर्बोध
परिचय का बासीपन
मुझको दोहरा जाता
बिल्कुल गुमनाम...
फिर भी मैं चलता हूँ
मेरी अतृप्तियाँ
लक्ष्यहीन दूरी का उजला भटकाव
देती है पाँवों में स्वस्तिक चिह्नों के घाव।

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts