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कल सुदामा पाण्डे मिले थे

Sudama Pandey DhoomilSudama Pandey Dhoomil
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कल सुदामा पाण्डे मिले थे
हरहुआ बाजार में। खुश थे। बबूल के
बन में बसन्त से खिले थे।
फटकारते बोले, यार! खूब हो
देखते हो और कतराने लगते हो,
गोया दोस्ती न हुई चलती- फिरती हुई ऊब हो
आदमी देखते हो, सूख जाते हो
पानी देखते हो, गाने लगते हो।
वे जोर से हँसे। मैं भी हँसा।
सन्त के हाथ -बुरा आ फँसा
सोचा -
उन्होंने मुझे कोंचा। क्या सोचते हो?
रात-दिन
बेमतलब बवण्डर का बाल नोचते हो
ले- देकर एक अदद
चुप हो।

वक्त के गंजेड़ी की तरह फूँकते रहे हो
चेहरे पर चमाइन मूत गई है। इतनी फटकार
जैसे वर्षों से अपनी आँखो में थूकते रहे हो।
अरे यार, दुनिया में क्या रखा है?
खाओ-पीओ, मजा लो
विजयी बनो-विजया लो
रँगरती
ठेंगे पर चढ़े करोड़पति।

 

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