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आदमी हर तरह लाचार है प्यारे भाई
और क्या ख़ाक समाचार है प्यारे भाई
गुंडई में बड़ी रफ़्तार है प्यारे भाई
सिर्फ़ सौजन्य गिरफ़्तार है प्यारे भाई
भष्ट आचार यहाँ सिर पे चढ़ा जादू है
धुन रहा शीश सदाचार है प्यारे भाई
नाचना, कूदना, मंचों पे चढ़ा जादू है
अब विदूषक ही कलाकार है प्यारे भाई
मौत के घूँट पिए किंतु ज़ुबाँ बन्द रही
खुदकुशी किस क़दर ख़ुद्दार है प्यारे भाई
ज़ोर से चीखिए मत नींद उचट जाएगी
चैन से सो रही सरकार है प्यारे भाई
श्याम को श्वेत करो और कोई रंग भरो
आपके हाथ में अख़बार है प्यारे भाई
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