शरद जोशी के व्यंग्य के कुछ:'s image
3 min read

शरद जोशी के व्यंग्य के कुछ:

Sharad JoshiSharad Joshi
0 Bookmarks 7296 Reads0 Likes

1. भारतीय रेल हमें मृत्यु का दर्शन समझाती है और अक्सर पटरी से उतरकर उसकी महत्ता का भी अनुभव करा देती है. कोई नहीं कह सकता कि रेल में चढ़ने के बाद वह कहां उतरेगा? अस्पताल में या श्मसान में. लोग रेलों की आलोचना करते हैं.

2. नेताओं पर व्यंग्य करते हुए शरद लिखते हैं, 'उनका नमस्कार एक कांटा है, जो वे बार-बार वोटरों के तालाब में डालते हैं और मछलियां फंसाते हैं. उनका प्रणाम एक चाबुक है, हंटर है जिससे वे सबको घायल कर रहे हैं.'

3. भ्रष्टाचार की व्यापकता पर वे लिखते हैं 'सारे संसार की मसि (स्याही) करें और सारी जमीन का कागज, फिर भी भ्रष्टाचार का भारतीय महाकाव्य अलिखिति ही रहेगा.' 

4. जनता को कष्ट होता है मगर ऐसे में नेतृत्व चमक कर ऊपर उठता है. अफसर प्रमोशन पाते हैं और सहायता समितियां चन्दे के रुपये बटोरती हैं. अकाल हो या दंगा, अन्तत: नेता, अफसर और समितियां ही लाभ में रहती हैं.

5. बाढ़ और अकाल से मुर्गा बच जाए, मगर वह मंत्रियों से सुरक्षित नहीं रह सकता है. बाहर भयंकर बाढ़ और अंदर लंच चलता है.

6. अपनी उच्च परंपरा के लिए संस्कृत, देश की एकता के लिए मराठी या बंगला, अपनी बात कहने समझने के लिए हिंदी और इस पापी पेट की खातिर अंग्रेजी जानना जरूरी है.

7. शिक्षक हो जाना हमारे राज्य का प्रिय व्यवसाय है. कहीं नौकरी न मिले तो लोग शिक्षक हो जाते हैं. मिल जाए तो पत्नी को शिक्षिका बना देते हैं. हमारे यहां दूल्हा-दुल्हन सुहागरात को भी एजुकेशन डिपार्टमेंट के बारे में बात करते हैं.

8. जिस दिन गेगरिन अंतरिक्ष यात्रा को गया, उस रोज सिन्हा बाबू खंडवा जाना चाहते थे, पर छुट्टी मंजूर न होने पर मुंह फुलाए बैठे थे. उन्हें पता लगा कि रूस का आदमी आसमान में घूम आया है तो बहुत कुढ़े और बोले,  'देखा दूसरे देश कितनी तरक्की कर रहे हैं, आदमी जहां चाहे जा सकता है और एक हमारा देश है जहां आदमी खंडवा भी जाना चाहे तो जाना मुश्किल है.

9. जो लिखेगा सो दिखेगा, जो दिखेगा सो बिकेगा-यही जीवन का मूल मंत्र है.

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts