
0 Bookmarks 126 Reads0 Likes
सोने के सागर में अहरह
एक नाव है
(नाव वह मेरी है)
सूरज का गोल पाल संध्या के
सागर में अहरह
दोहरा है...
ठहरा है...
(पाल वो तुम्हारा है)
एक दिशा नीचे है
एक दिशा ऊपर है
यात्री ओ!
एक दिशा आगे है
एक दिशा पीछे है
यात्री ओ!
हम-तुम नाविक हैं
इस दस ओर के:
अनुभव एक हैं
दस रस ओर के:
यात्री ओ!
आओम एकहरी हैं लहरें
अहरह ।
संध्या, ओ संध्या! ठहर-
मत बह!
अमरन मौन एक भाव है
(और वह भाव हमारा है ! )
ओ मन ओ
तू एक नाव है !
(और वह नाव हमारी है ! )
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments