0 Bookmarks 99 Reads0 Likes
मत ग़ज़ब कर छोड़ दे ग़ुस्सा सजन
आ जुदाई ख़ूब नईं मिल जा सजन
बे-दिलों की उज़्र-ख़्वाही मान ले
जो कि होना था सो हो गुज़रा सजन
तुम सिवा हम कूँ कहीं जागा नहीं
पस लड़ो मत हम सेती बेजा सजन
मर गए ग़म सीं तुम्हारे हम पिया
कब तलक ये ख़ून-ए-ग़म खाना सजन
जो लगे अब काटने इख़्लास के
क्या यही था प्यार का समरा सजन
छोड़ तुम कूँ और किस सें हम मिलें
कौन है दुनिया में कुइ तुम सा सजन
पाँव पड़ता हूँ तुम्हारे रहम को
बात मेरी मान ले हाहा सजन
तंग रहना कब तलक ग़ुंचे की तरह
फूल के मानिंद टुक खुल जा सजन
'आबरू' कूँ खो के पछताओगे तुम
हम को लाज़िम है अता कहना सजन
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments