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हम निहारते
रूप काँच के पीछे
हाँप रही है, मछली ।
रूप तृषा भी
(और काँच के पीछे)
हे जिजीविषा ।
रूप काँच के पीछे
हाँप रही है, मछली ।
रूप तृषा भी
(और काँच के पीछे)
हे जिजीविषा ।
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