जा दिनतें निरख्यौ's image
1 min read

जा दिनतें निरख्यौ

RaskhanRaskhan
0 Bookmarks 81 Reads0 Likes

जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन, कानि तजी घर बन्धन छूट्यो॥
चारु बिलोकनिकी निसि मार, सँभार गयी मन मारने लूट्यो॥
सागरकौं सरिता जिमि धावति रोकि रहे कुलकौ पुल टूट्यो।
मत्त भयो मन संग फिरै, रसखानि सुरूप सुधा-रस घूट्यो॥

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts