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क्यों नहीं है मेरे लिए कोई नाम कोई नदी कोई चिड़िया
कोई फूल कोई सिद्धांत
कोई दरख्त कोई राजनीतिक दल कोई जंगल
कोई सांप कोई गांव
कोई स्त्री कोई सड़क कोई संगीत
कोई नशा कोई प्रेम कोई घृणा
कोई घर कोई आँगन कोई छांव
वापस लौट जाऊँ मैं जहाँ एक बार फिर से अपनी यात्रा
शुरू करने के लिए
क्यों नहीं है मेरे लिए जीने में
अथवा अन्ततः मर जाने में कोई कारण
कोई सत्य कोई न्याय कोई आकर्षण
जबकि अपने अस्तित्व अपने अनस्तित्व का संपूर्ण निर्णय
मैंने छोड़ देना चाहा था
अपनी उग्रतारा पर कविता से पहले
और मृत्यु से पहले भी छोड़ देना चाहा था
शंकाहीन-अर्थहीन जीवन
और मरण का अंकगणित संभालने के लिए
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