
बुरों की जीत दुनिया में भलाई ठोकरें खाए
यहाँ क्या हो रहा मालिक ये कोई कैसे बतलाए
भगवान तुझे मैं ख़त लिखता
पर तेरा पता मालूम नहीं -२
रो-रो लिखता जग की बिपदा -२
पर तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं ख़त लिखता
तुझे बुरा लगे या भला लगे
तेरी दुनिया अपने को जमी नहीं -२
कुछ कहते हुए डर लगता है
यहाँ दुष्टों की कुछ कमी नहीं
मालिक तुझे सब कुछ समझाता
पर तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं ख़त लिखता
मेरे सर पे दुखों की गठरी है -२
रातों को नहीं मैं सोता हूँ
कहीं जाग उठें न पड़ोसी इसलिए
ज़ोर से नहीं मैं रोता हूँ
तेरे सामने बैठ के मैं रोता
तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं ख़त लिखता
कुछ कहूँ तो दुनिया कहती है
आँसू न बहा बकवास न कर
ऐसी दुनिया में मुझे रख के
मालिक मेरा सत्यानास न कर -२
तेरे पास मैं ख़ुद ही आ जाता
पर तेरा पता मालूम नहीं
भगवान तुझे मैं ख़त लिखता
पर तेरा पता मालूम नहीं
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments