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आख़िरी गीत मौहब्बत का सुना लूँ तो चलूँ ।
मैं चला जाऊँगा, दो अश्क बहा लूँ तो चलूँ ।
आज वो दिन है के तूने मुझे ठुकराया है,
अपना अंजाम इन आँखों को नज़र आया है,
दहशत-ए-दिल! मैं ज़रा होश में आ लूँ तो चलूँ ।
आज मैं ग़ैर हूँ, कुछ दिन हुए ग़ैर न था,
मेरी चाहत, मेरी उल्फ़त से तुझे बैर न था,
मैं हूँ अब ग़ैर, यक़ीं दिल को दिला लूँ तो चलूँ ।
तेरी दुनिया से मैं इक रोज़ चला जाऊँगा
और गए वक़्त की मानिंद नहीं आऊँगा
फिर न आने की क़सम आज मैं खा लूँ तो चलूँ ।
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