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गोबर से, मिट्टी से,
लीपा हुआ घर-दुआर
नया धान, कूद फाँद,
गुद-गुद टटका पुआर
छठ मने ठेकुआ,
सिंघारा-मखाना
छठ मने
शारदा सिन्हा जी का गाना
बच्चों की रजाई में भूत की कहानी
देर राह तक बतियाती माँ, मौसी, मामी
व्रत नहीं, छठ मने हमरे लिए तो
व्रत खोल पान खाके हँसती हुई नानी
छठ मने छुट्टी
छठ मने हुलास
छठ मने ननिहाल
आ रहा है पास
[चित्र - प्रिया]
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